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झलकारी बाई के बारे में
झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की सेना में वह शािमल थी। झलकारीबाई सदोबासिंह और जमुना देवी की बेटी थी. उनका जन्म 22 नवम्बर 1830 को बुंदेलखंड में झाँसी के नजदीक भोजला ग्राम में हुआ था। उनकी माता के मृत्यु के बाद वह घर के काम के अलावा पशुओं की देखरखे और जंगल से लकड़ी इकट्ठा करने का काम भी करती थी। साथ ही पिता ने उन्हें एक बेटे की तरह बड़ा किया . झलकारी बचपन से ही साहसी बािलका थी, और वह घुड़सवारी और हिथयार चलाने में मािहर थी. कहा जाता है की एक बार जंगल में झलकारी की मुठभेड़ एक बाघ से हो गई, और उन्होंने अपनी कुल्हाड़ी से उस बाघ को मार डाला।
झलकारी बाई को रानी लक्ष्मीबाई की हमशक्ल भी माना जाता है। इस कारण शत्रु को धोखा देने के लिए वे रानी के वेश में भी युद्ध करती थीं। झलकारी का विवाह झांसी की सेना में सिपाही रहे पूरन कोली से हुआ, जो रानी लक्ष्मीबाई के तोपखाने की रखवाली किया करते थे। पुराण सिंह ने झलकारीबाई को रानी लक्ष्मीबाई से मिलवाया था। बाद में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की सेना में झलकारीबाई ने युद्ध कला में अभ्यास पाया। वह एक कुशल सैिनक थी और मिहला शाखा की सेनापित थीं।
सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के समय जनरल रोज ने अपनी सेना के साथ 23 मार्च 1858 को झाँसी पर आक्रमण किया ।रानी लक्ष्मीबाई ने वीरता पूवर्क अपने 5000 सैिनकों के साथ विशाल सेना का सामना किया । अग्रेंजों की सेना से रानी लक्ष्मीबाई घिर गयीं। तब झलकारी बाई ने अपनी सूझबूझ का पिरचय दिया और रानी लक्ष्मीबाई के प्राणों को बचाने के लिए रानी के वेश में युद्ध करने का निर्णय लिया । अंग्रेजी सेना भी झलकारीबाई को ही रानी लक्ष्मीबाई समझ बैठे, और उनपर प्रहार करती रही। दूसरी तरफ से रानी लक्ष्मीबाई सुरिक्षत िक़ले के बाहर निकल सकी।
झलकारी अपने अंतिम समय अंग्रेजों के हाथों पकड़ी गयीं। तोप का एक गोला झलकारी को लगा और ‘जय भवानी’ कहती हुई वह जमीन पर गिर पड़ी।
To learn more about Jhalkari Baai, you can read on Wikipedia. Story obtained from Wikipedia and other sources. Image: By Gyanendra Singh Chauhan – Panoramio, CC BY 3.0