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क़ौवे और उल्लू का बैर इस कहानी के बारे में जाने
यह कहानी पंचतंत्र से है जो हमें यह बोध सिखलाती है की हमें दूसरों के काम में दख़ल नहीं देनी चाहिए । कहानी का सारांश कुछ ऐसा है । एक बार पक्षियों की एक सभा हुई, जिस में पक्षियों ने यह निर्णय लिया की गरुड़ को उनके राजा के पद से हटा देना चाहिए । उस की जगह किसी और पक्षी को राजा बनाना चाहिए । पक्षियों ने उल्लू को अपना राजा बनाने का निर्णय लिया । लेकिन क्या एक कौवा उस उल्लु को राजा बनने देगा?
इसिलये पिक्षयों ने िनणर्य िलया की उन में से िकसी अन्य पक्षी को राजा चुन िलया जाय । एक- एक करके हसं , तोता, बगुला, कोयल, चातक, कबूतर, आिद पिक्षयों ने अपनी श्रेष्ठता पेश की । लेिकन सभा के सदयस्यों ने एक- एक करके उन सभी की उम्मेदवरी ठुकरा दी । कई िदनों की बैठक के बाद अंत में सभी पिक्षयों ने एक सम्मित से उल्लू को अपना राजा चुना । पिक्षयों ने आपस में बात की, ” उल्लू को बहुत ही रोबीला और बुिद्धमान माना जाता है । और, वह हमारा नेतृत्व बहुत ही अच्छी तरह से कर सकता है । इसीिलए उसे ही हमारा राजा चुन ना चािहए ।”
अगले ही िदन नए राजा के अिभषेक की तैयािरयाँ होने लगीं । िविवध तीथोर्ं से पिवत्र जल मँगाया गया, िसंहासन पर रत्न जड़े गए, सोने के कलश दूध और शहद से भरे गए । ब्राह्मणों ने वेद पाठ शुरु कर िदया, नतर्िकयोंनेनृत्यकीतैयारीकरलीं।कुछसमयबादउल्लूऔरउसकीपत्नीपधार।े उल्लूमहाराज राज्यिसं हासन पर बैठने ही वाले थे िक वहाँ पर एक कौवा आ गया ।
कौवे ने वहाँ उपिस्थत लोगों से पूछा,”भाइयों, यह समारोह कै सा ? यह उत्सव िकस िलए ?”
पिक्षयों ने भी कौवे को देखा और वह सभी आश्चयर् में पड़ गए । उसे तो िकसी ने बुलाया ही नहीं था । िफर
उलूक राज के राज्यािभषेक की बात सुन कर कौवे ने हँसते हुए कहा “यह चुनाव ठीक नहीं हुआ । मोर,
हसं , कोयल, सारस, चातक, शुक आिद सुन्दर पिक्षयों के रहते टेढ़ी नाक वाले पक्षी को राजा बनाना उिचत नहीं है । उसे िदन में ठीक से िदखाई नहीं देता । वह स्वभाव से ही रौद्र है और कटुभाषी भी है ।
आप ने क्या यह सोचा ह,ै की गरुड़ तो अभी भी तुम्हारा राजा है । एक राजा के रहते दूसरे को राज्यासन देना बहुत ही हािनकारक है । पृथ्वी पर एक ही सूयर् होता ह;ै वह अपनी िकरणों से सारे संसार को प्रकािशत कर देता है । एक से अिधक सूयर् होने पर प्रलय हो जाती है । और आप तो जानते है िक प्रलय से संसार में िवपित्त ही आती ह,ै कल्याण नहीं होता ।”
“यिद तुम उल्लू जैसे नीच, आलसी, कायर पक्षी को राजा बनाओगे तो नष्ट हो जाओगे ।
कौवे की बात सुनकर सब पक्षी उल्लू को राज-मुकु ट पहनाये िबना चले गये । के वल अिभषेक की प्रतीक्षा करता हुआ उल्लू, उसकी पत्नी, और कौवा रह गये । उल्लू ने अपनी पत्नी से पूछा “मेरा अिभषेक क्यों नहीं हुआ ?”
उल्लूकीपत्नीनेअपनेपितसेकहा,”एककौवेनेआकररगं मेंभंगकरिदया।शेषसबपक्षीउड़कर चलेगयेह,ैं केवलवहकौवाहीयहाँबैठाहै।”
तब, उल्लू ने कौवे से कहा “दुष्ट कौवे ! मैंने तेरा क्या िबगाड़ा था जो तूने मेरे कायर् में िवघ्न डाल िदया ? ”
यह कहकर उल्लू वहाँ से चला गया , ओड कौवा बहुत िचिन्तत हुआ वहीं बैठा रहा । उसनेसोचा”मैंनेिबनाकारणहीउल्लूसेवैरमोललेिलया।दुसरेके मामलोंमेंहस्तक्षेपनहींकरना
चािहए, लेिकन मैंने वही िकया । यही नहीं, मैंने कटु सत्य भी कहा िदया, जो की दुःखप्रद होता है ।” यही सोचकर कौवा वहाँ से चला गया । तभी से कौओं और उल्लुओं में स्वाभािवक वैर चला आ रहा है ।
The story of enemity of crows and owls Panchatantra story.
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