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अंबुबाची मेला क्या है? भारत में इसका महत्व

भारत विविध संस्कृतियों और परंपराओं का देश है, जहां हर त्योहार की अपनी अनूठी कहानी और महत्व होता है। ऐसा ही एक महत्वपूर्ण त्योहार है – अंबुबाची मेला। यह असम राज्य के गुवाहाटी शहर में स्थित कामाख्या मंदिर में मनाया जाता है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम जानेंगे कि अंबुबाची मेला क्या है और इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व क्या है।

अंबुबाची मेला: परिचय

अंबुबाची मेला एक वार्षिक हिंदू त्योहार है जो जून महीने के दौरान आयोजित किया जाता है। यह चार दिनों तक चलता है और इसे कामाख्या देवी की मासिक धर्म अवधि के रूप में माना जाता है। इस दौरान मंदिर के द्वार बंद रहते हैं और कोई पूजा-अर्चना नहीं होती। स्थानीय लोग मानते हैं कि इस समय पृथ्वी माता भी अपने मासिक धर्म चक्र से गुजरती हैं, जिससे खेतों की उर्वरता बढ़ती है।

इतिहास और पौराणिक कथाएं

कामाख्या मंदिर का निर्माण 8वीं सदी में हुआ था और यह शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान शिव ने देवी सती के शरीर को लेकर तांडव नृत्य किया, तब उनके शरीर के अंग अलग-अलग स्थानों पर गिर गए थे। कहा जाता है कि कामाख्या वह स्थान है जहां देवी सती का गर्भ गिरा था।

मेले का आयोजन

अंबुबाची मेले का आयोजन बड़े धूमधाम से किया जाता है:

पहले दिन:

मेले की शुरुआत होती है जब मंदिर के द्वार बंद कर दिए जाते हैं। इसे 'अम्बु बिवा' कहा जाता है।

दूसरे दिन:

इस दिन किसी प्रकार की पूजा या अनुष्ठान नहीं होते।

तीसरे दिन:

यह दिन 'निवृत्ति' कहलाता है, जिसमें लोग उपवास रखते हैं और विशेष ध्यान करते हैं।

चौथे दिन:

यह सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है जब मंदिर के द्वार फिर से खोले जाते हैं। इसे 'पट खोलना' कहा जाता है। भक्तगण इस अवसर पर बड़ी संख्या में आते हैं ताकि वे पुनः खुले द्वारों से दर्शन कर सकें।

धार्मिक महत्व

अंबुबाची मेले का मुख्य उद्देश्य देवी कामाख्या को सम्मान देना और उनकी उर्वरता शक्ति को स्वीकार करना होता है। यह पर्व मातृत्व, प्रजनन शक्ति, और स्त्रीत्व का प्रतीक माना जाता है। यहां आने वाले भक्तगण मानते हैं कि इस समय देवी मां अत्यंत शक्तिशाली होती हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं।

सांस्कृतिक महत्व

अंबुबाची मेला केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही महत्वपूर्ण नहीं बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण होता है:

  • लोक संस्कृति: मेले के दौरान विभिन्न प्रकार की लोक कलाओं का प्रदर्शन होता है।
  • हस्तशिल्प: स्थानीय कारीगर अपने हस्तशिल्प उत्पाद बेचते हैं।
  • सांस्कृतिक आदान-प्रदान: देशभर से आए लोग यहां मिलते-जुलते हैं जिससे विभिन्न संस्कृतियों का आदान-प्रदान होता रहता

है।

Conclusion

अंबुबाची मेला केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति की गहराईयों को दर्शाने वाला पर्व भी है। यह हमें प्रकृति, महिला शक्ति, और उर्वरता की महत्ता को समझने का अवसर प्रदान करता है। चाहे आप आस्थावान हों या सिर्फ भारतीय संस्कृति को जानने के इच्छुक हों, अंबुबाची मेला आपको एक अनूठा अनुभव देगा जिसे आप कभी भूल नहीं पाएंगे।

तो अगली बार जब आप जून महीने में असम जाएं, तो इस अद्भुत मेले का हिस्सा बनें और इसकी दिव्यता व भव्यता को महसूस करें!